कैसे मेरी ज़िंदगी झोपडी में भी ठाठ मार जाती है , मारे शर्म के हवेली की मुस्कान को काठ मार जाती है। कैसे मेरी #ज़िंदगी #झोपडी में भी #ठाठ मार जाती है , मारे #शर्म के #हवेली की #मुस्कान को #काठ #मार जाती है। #Hindi #Nojoto #Nojotohindi #Hindinojoto