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झर - झर नीर बहे आंँखों से भृकुटी चढ़ी आकाश है। कोई

झर - झर नीर बहे आंँखों से भृकुटी चढ़ी आकाश है।
कोई कविता न गीत, ग़ज़ल यह दिल की धधकती आग है।
 
दे दो खुली छूट सेना को, नक्सल, आतंक को ख़त्म करें।
दिल्ली की सिंहासन वालों अब एक पल न देर करें।

जितने छिपे अंदर और बाहर सबको सबक सीखा दो तुम,
आत्मसमर्पण करें ठीक नहीं गोली सीने के पार करें।

कितनी बहनें भाई खोई कितनी मांँ बे - औलाद हुईं,
अनाथ हुए बच्चे कितने कितनी सुहागन सुहाग खोईं।

दीप जला के, फूल चढ़ा के ' मन ' कब तक शोक मनायेंगे।
सच्ची श्रद्धांजलि तभी जब सारे कचरा को साफ करें।
 आज जब समस्त भारत कोरोना जैसी आपदा से जूझ रहा है, उसी दौरान सुकमा में नक्सली हमले में 17 जवान शहीद हो गए हैं। मन बहुत द्रवित है। उन वीर जवानों को नमन है। 
#सुकमा #श्रद्धांजलि #yqdidi     #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
झर - झर नीर बहे आंँखों से भृकुटी चढ़ी आकाश है।
कोई कविता न गीत, ग़ज़ल यह दिल की धधकती आग है।
 
दे दो खुली छूट सेना को, नक्सल, आतंक को ख़त्म करें।
दिल्ली की सिंहासन वालों अब एक पल न देर करें।

जितने छिपे अंदर और बाहर सबको सबक सीखा दो तुम,
आत्मसमर्पण करें ठीक नहीं गोली सीने के पार करें।

कितनी बहनें भाई खोई कितनी मांँ बे - औलाद हुईं,
अनाथ हुए बच्चे कितने कितनी सुहागन सुहाग खोईं।

दीप जला के, फूल चढ़ा के ' मन ' कब तक शोक मनायेंगे।
सच्ची श्रद्धांजलि तभी जब सारे कचरा को साफ करें।
 आज जब समस्त भारत कोरोना जैसी आपदा से जूझ रहा है, उसी दौरान सुकमा में नक्सली हमले में 17 जवान शहीद हो गए हैं। मन बहुत द्रवित है। उन वीर जवानों को नमन है। 
#सुकमा #श्रद्धांजलि #yqdidi     #YourQuoteAndMine
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