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टिमटिमाते तारे पलकों पर सजी थी नींद बुलाते सपने क

टिमटिमाते तारे
पलकों पर सजी थी नींद
बुलाते सपने 
कितनी बार बुलाऊँ निदिया
कितनी बार बहलाऊँ
तारों की झिलमिल रोशनी
मां को ढूँढ लाऊँ
निंदिया रानी मुझको आओ
आ तुझे नैन सजाऊँ।।

©vimlesh Gautam
  #सितारें