पत्थर भी बह सके ऐसा ख्वाब देखा है, इस स्याह रात में भी मैंने आफ़ताब देखा है, हकीकत को मुझसे दुश्मनी है तो क्या हुआ, मैंने ज़हन में माशूक को भी मेहताब देखा है। -सुमीत #Dream #shayari #zindagi #moon #Sun #मेहताब #आफ़ताब #moonlight