मर्द कभी अपनी मोहब्बत का इजहार लफ्जों में नहीं कर सकता, उसे करना ही नहीं आता या फिर सिखाया ही नहीं जाता। वह कभी अपनी मां को नही बता पाता की उसे उनके बगैर घर बहुत अधूरा लगता है। वह कभी अपनी बहन को नही बोल पाता कि उसे उसकी शरारतें अच्छी लगती है। अपनी बीवी से नही बोल पाता की उसकी वजह से उसका ईमान महफूज़ है। अपनी बेटी को नही बता पाता कि उसने कितनी दुआएं की थी कि रब उसको रहमत से नवाजे। गर्ज यह है कि मर्द को लफ्ज़ी मोहब्बत करना ही नही आती। वह हमेशा अमली और मजबूत मोहब्बत करता है और उसी मोहब्बत के इजहार के लिए वह अपनी ज़ात पर हर तकलीफ सहता है कि उसकी मोहब्बतें महफूज़ रह सकें.... ©Tarique Usmani #AkelaMann