हालात से डरी मंज़िलें, दूर होती गई, राहों की रोशनी भी बेनूर होती गई इक तिरे इश्क़ ने संभाला था मुझे तू भी अब जन्नत की हूर होती गई, आते तेरे पीछे जन्नत तक भी हम, अर्जियां हमारी नामंजूर होती गई ©नौख़ेज़ #DarkWinters #इश्क़ #सहारा #नूर #ज़न्नत #अर्ज़ी