यह जमाना है बेहद बेवफा यहाँ बुराइयों का है बसेरा अच्छाई जैसे लुप्त हो गई ना जाने कहाँ ही खो गई चारों और बेतुका माहौल रहता है बे-इत्तेफाकों से जैसे दोस्ती सी हो गई बडो़ं की शिक्षा जेसे लुप्त हो गई देश को जैसे किसी की नज़र लग गई - नीलम कपूर #Hope Absurdity of the world #meaninglessworld #longlosthumanity a poem by my mom 💞