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रूप की अदा भी इक़ दिन ढल जानी है, तन की ख़ूबसूरती तो

रूप की अदा भी इक़ दिन ढल जानी है,
तन की ख़ूबसूरती तो आनी जानी है।

क्या फ़िज़ूल ग़ुरूर इसपर दिखाना है,
मुँह के मधुर बोल ही अस्ल खज़ाना है।

साँस आख़री आख़री अलविदा जब आएगा,
रंग रूप नहीं गुण शील ही तेरा याद आएगा।

एक ज़िन्दगी मिली अपनों से वफ़ा निभा लेना,
मिट्टी के तन पे इतराना क्या प्यार कमा लेना।

इत्र से देह नहीं विचारों से रूह महकाना ज़रा,
रूप के दीवाने कई आएँगे तू पग संभालना ज़रा।— % & ♥️ Challenge-856 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
रूप की अदा भी इक़ दिन ढल जानी है,
तन की ख़ूबसूरती तो आनी जानी है।

क्या फ़िज़ूल ग़ुरूर इसपर दिखाना है,
मुँह के मधुर बोल ही अस्ल खज़ाना है।

साँस आख़री आख़री अलविदा जब आएगा,
रंग रूप नहीं गुण शील ही तेरा याद आएगा।

एक ज़िन्दगी मिली अपनों से वफ़ा निभा लेना,
मिट्टी के तन पे इतराना क्या प्यार कमा लेना।

इत्र से देह नहीं विचारों से रूह महकाना ज़रा,
रूप के दीवाने कई आएँगे तू पग संभालना ज़रा।— % & ♥️ Challenge-856 #collabwithकोराकाग़ज़

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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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