मैं एक पेड हु मेरा दर्द कोउन समझे, हमारी इतनी नजुक पती है कि मुझे डर लगता है कोइ तोड ना ले हम सभी जिव जन्तुओ को खाने योग्य फल, शुद्ध हवा, और ठान्ड छाव देते है हम प्रकृति को हर रोज साजाए रहते हैं इन्सानो ने इतना जानते हुए भी हम्हे तोड देते है हम रोती रही कोइ नही आया, मेरे दुख के करीब एक बारिश थी जो अपनी समय के साथ आयी और वो रो पडी ©Tileshwer Ravidas पेड कि कहानी