" अब तमाम शहर मयखाना लगते , ये जूर्म मुझे कुछ और पुराना लगता हैं , हादसों का शहर हैं ये तेरा , तेरे यादों से एक नये रोज कुछ ज़ंग और सही ." --- रबिन्द्र राम " अब तमाम शहर मयखाना लगते , ये जूर्म मुझे कुछ और पुराना लगता हैं , हादसों का शहर हैं ये तेरा , तेरे यादों से एक नये रोज कुछ ज़ंग और सही ." --- रबिन्द्र राम #तमाम #मयखाना #जूर्म #यादों #ज़ंग