बहुत हुआ बंधना । अब पंख खोल दो ।। साहस और जज्बों को । पंखों में भर लो ।। बहुत देखी सीमाएं अब उन्हें तोड़ दो ।। उन्मुक्त गगन है मापने को । रेंगना मिट्टियों में छोड़ दो ।। उंगलियां जो उठा रहे । जवाब उन्हें ठोस दो ।। बहुत हुआ बंधना । अब बेड़ियां तोड़ दो ।। सुप्रभात। पूर्वाग्रहों की बेड़ियाँ तोड़ दो। भविष्य दृष्टा बनो। वर्तमान में जियो। #बेड़ियाँ #बेटियां #बेटी_घर_की_रोशनी #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi