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।।बहोत दीन हो गए की मैने एक सख्श को नही देखा है ।।

।।बहोत दीन हो गए की मैने एक सख्श को नही देखा है ।।

वो जिसकी दूआए हर रोज मेरा हाल लेती है ;
वो जो मूजे हर हाल मे संभाल लेती है ।।

वो जिसकी दूआए मूसिबतो को रूख मोड़ देती है ;
वो जो मेरी तूफान से परेशानियों को अपने पल्लू मे निचोड देती है ।।

उसे गिनती नही आती या उसका प्यार है !!!
की मै दो रोटी माँगू वो चार देती है ;
की मेरे जीस बूखार को हक़ीम भी ना मीटा सका सका ;
जो बस नजर उतार कर मेरे दर्द को मार देती है ।।

।।मैने उस सा कोई और नही देखा है ।।
।।की बहोत दीन हो गय मैने माँ को नही देखा है।।

।। माँ ।। माँ । loveU
from; a person who is far from home...
📖✍
।।बहोत दीन हो गए की मैने एक सख्श को नही देखा है ।।

वो जिसकी दूआए हर रोज मेरा हाल लेती है ;
वो जो मूजे हर हाल मे संभाल लेती है ।।

वो जिसकी दूआए मूसिबतो को रूख मोड़ देती है ;
वो जो मेरी तूफान से परेशानियों को अपने पल्लू मे निचोड देती है ।।

उसे गिनती नही आती या उसका प्यार है !!!
की मै दो रोटी माँगू वो चार देती है ;
की मेरे जीस बूखार को हक़ीम भी ना मीटा सका सका ;
जो बस नजर उतार कर मेरे दर्द को मार देती है ।।

।।मैने उस सा कोई और नही देखा है ।।
।।की बहोत दीन हो गय मैने माँ को नही देखा है।।

।। माँ ।। माँ । loveU
from; a person who is far from home...
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