तेरे जैसा यार कहाँ, सोचो... न रहे तारों में चमक, न रहे सूरज में किरण, न रहे चंदा में चांदनी, न हो नदियों में पानी, न बचे हवाओं में महक, न रहे झील,झरने,पहाड़,परिंदे... कैसा होगा संसार ?? चारों तरफ वीरान ही वीरान... तो बंद करो अत्याचार... लगाओ अल्प विराम... चलो करे नई शुरुआत... लगाएं पेड़ पौधे अनेक... बनाए सुंदर परिवेश। सोचो न... रहे तारों में #चमक, न रहे #सूरज में #किरण, न रहे चंदा में #चांदनी, न हो #नदियों में पानी, न बचे हवाओं में #महक, न रहे झील,झरने,पहाड़,परिंदे...