मैं हाथ में फाइलें पकड़ें एकटक उस दरवाज़े की ओर देख रहा था, तभी वो निकली उस दरवाजे से, थोड़ी घबराई, पसीने से लथपथ कपड़े इधर उधर से फटे थे, और जिनसे उसका जिस्म झाँक रहा था, और काँप रही थी। उसने बिना मुझे देखे अपने बाल ठीक किये और अपने बदन को अपने ही कोट से ढंकते हुए जल्दी से चली गई। मैं समझ तो गया था कि कुछ हुआ मगर जो मैंने कमरे में जाकर देखा तो हैरानी नहीं हुई। कमरे में अय्यासी महिलाओं को अपनी जूती समझने वाला मेरा बॉस मरा पड़ा था। जरा सी देर में सब समझ आ गया मेरे। मैंने अपनी जेब से रुमाल निकाला और पूरे कमरे से उस लड़की के फिगर प्रिंट मिटा दिए। फिर बॉस के फ़ोन से ही पुलिस को फ़ोन किया और सावधानी से निकल गया। अब दिल उस लड़की को और मुझे पहली बार शाबासी दे रहा था। शीर्षक : वो मदद ©सखी #Vo_Darwaza #Vo_madad