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चंद्रशेखर तुम्हे आना होगा राष्ट्रहित के वास्ते, ध

चंद्रशेखर तुम्हे आना होगा राष्ट्रहित के वास्ते,

धूमिल होते दिख रहे है प्रजातंत्र के रास्ते।

जिनकी शत्रुओं का नाश किया था निज तन का देकर बाली दान, उसी देश की सहिष्णुता पर प्रश्न कर रहे बेईमान।
जिसने लूट मचाई सत्ता से देश बेच कर बाकी में, 

वो भ्रष्टाचारी एक हो रहे लम्बी लम्बी झांकी में।

सडयंत्रो के जाल में माँ है, क्या चैन से तुम सो पाओगे,

देश पुकार रहा है मेरे भगत सिंह कब आओगे, बोलो भगत सिंह कब आओगे।

रक्त बीज सा खड़ा हो रहा, लोभी भूखा सत्ता का, 

क्या बिहार का, क्या दिल्ली का, क्या नेता कलकत्ते का।

जिससे थोड़ी आश देश को उसके शत्रु हुए हज़ार, मिथ्यावादी भ्रष्ट नीति से उसपर कर रहे प्रहार।

बलिदानी ऐ बिस्मिल खुदिराम को लेकर आ जाओ,

छिन्न भिन्न है माँ का आँचल , माँ की लाज बचाओ, आओ माँ की लाज बचाओ।

आतंक मचाते शत्रुओं के शब यात्रा की भीड़ से, अस्थिर हो रहे है शहीदों की प्रतिमा भी पीर से।

धर्म राष्ट्र से ऊपर कैसे, उत्तर इसका शून्य है, धर्म गुरु भी भ्रमित कर रहे क्या पाप क्या पुण्य है।

देश बॉटने की तैयारी गोरो से भी ज्यादा है, जितना लूट सकोगे मिलकर हिस्सा आधा आधा है।

कैसी तेरी माँ की हालत देखने कब तुम आओगे, बलिदानी ऐ वीर सहीदो कब तक धीर दिखाओगे।

आ जाओ अब आ जाओ उन सपनों का फिर क्या होगा, राम राज्य का स्वर्ण राष्ट्र का क्या बस मिथ्या आभा होगा। 

~अभिजीत दे Ayush Malu Arman Ankashi Hariom Rana Pari aggarwal shivam kumar mishra
चंद्रशेखर तुम्हे आना होगा राष्ट्रहित के वास्ते,

धूमिल होते दिख रहे है प्रजातंत्र के रास्ते।

जिनकी शत्रुओं का नाश किया था निज तन का देकर बाली दान, उसी देश की सहिष्णुता पर प्रश्न कर रहे बेईमान।
जिसने लूट मचाई सत्ता से देश बेच कर बाकी में, 

वो भ्रष्टाचारी एक हो रहे लम्बी लम्बी झांकी में।

सडयंत्रो के जाल में माँ है, क्या चैन से तुम सो पाओगे,

देश पुकार रहा है मेरे भगत सिंह कब आओगे, बोलो भगत सिंह कब आओगे।

रक्त बीज सा खड़ा हो रहा, लोभी भूखा सत्ता का, 

क्या बिहार का, क्या दिल्ली का, क्या नेता कलकत्ते का।

जिससे थोड़ी आश देश को उसके शत्रु हुए हज़ार, मिथ्यावादी भ्रष्ट नीति से उसपर कर रहे प्रहार।

बलिदानी ऐ बिस्मिल खुदिराम को लेकर आ जाओ,

छिन्न भिन्न है माँ का आँचल , माँ की लाज बचाओ, आओ माँ की लाज बचाओ।

आतंक मचाते शत्रुओं के शब यात्रा की भीड़ से, अस्थिर हो रहे है शहीदों की प्रतिमा भी पीर से।

धर्म राष्ट्र से ऊपर कैसे, उत्तर इसका शून्य है, धर्म गुरु भी भ्रमित कर रहे क्या पाप क्या पुण्य है।

देश बॉटने की तैयारी गोरो से भी ज्यादा है, जितना लूट सकोगे मिलकर हिस्सा आधा आधा है।

कैसी तेरी माँ की हालत देखने कब तुम आओगे, बलिदानी ऐ वीर सहीदो कब तक धीर दिखाओगे।

आ जाओ अब आ जाओ उन सपनों का फिर क्या होगा, राम राज्य का स्वर्ण राष्ट्र का क्या बस मिथ्या आभा होगा। 

~अभिजीत दे Ayush Malu Arman Ankashi Hariom Rana Pari aggarwal shivam kumar mishra
abhijeetdey2871

Abhijeet Dey

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