अफ़सोस जब मेरे मन के भावों से तू बिन बोले मुसकाएगी। और पतझड़ के मौसम में वर्षा छम - छम तुम्हे भिगोएगी।। जो गर ना तू उस दिन मुझसे इजहार प्यार कर पाएगी। तू याद मुझे यों करके फिर, अफ़सोस जता न पाएगी।। # अफ़सोस