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समय का फेरा रे,,, ये कहाँ ठहरा रे समय का फेरा रे,

समय का फेरा रे,,,
ये कहाँ ठहरा रे 
समय का फेरा रे,,,
ये कहाँ ठहरा रे 
====================
भौर भये और फिर दुपहरी 
तपती धूप बने फिर सुनहरी।
अधूरी रही जो बाते सूरज की 
सांझ का दीपक करे हैं पूरी ।

सांझ ढले और बस रात का डेरा रे 
समय का फेरा रे, ये कहाँ ठहरा रे ।।
=====================
ओ मुसाफिर कौन साथ है तेरे
सब कुछ तो कयास हैं तेरे
अपनी दिशा को तू साध ले
जो बीत गया,अब नहीं हाथ तेरे

पीछे  तो हैं बस, अंधियार घनेरा रे 
समय का फेरा रे, ये कहाँ ठहरा रे ।।

लोकेंद्र की कलम से ✍️ #लोकेंद्र की कलम से
समय का फेरा रे,,,
ये कहाँ ठहरा रे 
समय का फेरा रे,,,
ये कहाँ ठहरा रे 
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भौर भये और फिर दुपहरी 
तपती धूप बने फिर सुनहरी।
अधूरी रही जो बाते सूरज की 
सांझ का दीपक करे हैं पूरी ।

सांझ ढले और बस रात का डेरा रे 
समय का फेरा रे, ये कहाँ ठहरा रे ।।
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ओ मुसाफिर कौन साथ है तेरे
सब कुछ तो कयास हैं तेरे
अपनी दिशा को तू साध ले
जो बीत गया,अब नहीं हाथ तेरे

पीछे  तो हैं बस, अंधियार घनेरा रे 
समय का फेरा रे, ये कहाँ ठहरा रे ।।

लोकेंद्र की कलम से ✍️ #लोकेंद्र की कलम से