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चाहतें मिन्नतें आस पूरी तो हर एक विश्वास में त




चाहतें मिन्नतें आस पूरी 
तो हर एक विश्वास में तुम्हीं 

गर मन का ना हुआ कुछ भी
तो हर एक अविश्वास में भी तुम्हीं 

तेरे होने या ना होने के प्रमाण में भी 
हे प्रभु,हे दयानिधे अंतर बस इतना ही

©rajeshwari Thakur
  # प्रमाण #

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