एक सपने की तरह तुझे सज़ा के रखता.. चाँदनी रात की नज़रों से छुपा के रखता.. मेरी तक़दीर में तुम्हारा साथ नही, वरना सारी उमर तुझे अपना बना के रखता.. नगरामी...।। ता उमर...।।।