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अब और क्या कयामत हो इस जहान में. बैठे हैं और गुम ह

अब और क्या कयामत हो इस जहान में.
बैठे हैं और गुम हैं कज़ाए जहान में 

आई वबा तो मस्जिदों मंदिर नहीं है पर. 
सब सोंच कर है पस्त कब्र ए जहान में.

    #अखलाक साहिर #World_PoetryDay
अब और क्या कयामत हो इस जहान में.
बैठे हैं और गुम हैं कज़ाए जहान में 

आई वबा तो मस्जिदों मंदिर नहीं है पर. 
सब सोंच कर है पस्त कब्र ए जहान में.

    #अखलाक साहिर #World_PoetryDay