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अंदर तक कितना जला था मैं सब ने मुझको पत्थर माना रू

अंदर तक कितना जला था मैं
सब ने मुझको पत्थर माना
रूह भी पिघला था मेरा 
जब कतरा कतरा बहा था मैं ... "नीर"

©Neeraj Neer
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