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फ़रिश्ते ना कोई जान पहचान कहां से आए ये इंसान शुक

फ़रिश्ते

ना कोई जान पहचान
कहां से आए ये इंसान
शुक्रगुजार हूं तेरा
इनसे मिलाया जो तूने,है भगवान।

मैं उलझनों में था
इन्होंने खुलकर जीना सिखा दिया
कितनी खूबसूरत है ये जिदंगी
इनकी चित्रकलाओं ने सब बता दिया।

कुछ हास्यप्रद भी थे
तो कुछ शर्मीले थे
थे मगर कुछ आग बबूले भी
लेकिन अंदाज़ सबके रंगीले थे।

कोई अपनी कला से मिट्टी तराशता
तो कोई धरा की इस खूबसूरती को 
रंगो से पन्नों में कैद करता
कोई बात करता विश्व ज्ञान की
तो कोई सामाजिक रीतियों पर 
अपना मंतव्य रखता।

सताएंगी आप सभी की हसी 
खेले जो संग खेल भी सताएंगे
जिंदगी के इस अन्नंत्त सफर में
आप सभी हमेशा याद आएंगे।

_ विक्रम शर्मा #फ़रिश्ते
फ़रिश्ते

ना कोई जान पहचान
कहां से आए ये इंसान
शुक्रगुजार हूं तेरा
इनसे मिलाया जो तूने,है भगवान।

मैं उलझनों में था
इन्होंने खुलकर जीना सिखा दिया
कितनी खूबसूरत है ये जिदंगी
इनकी चित्रकलाओं ने सब बता दिया।

कुछ हास्यप्रद भी थे
तो कुछ शर्मीले थे
थे मगर कुछ आग बबूले भी
लेकिन अंदाज़ सबके रंगीले थे।

कोई अपनी कला से मिट्टी तराशता
तो कोई धरा की इस खूबसूरती को 
रंगो से पन्नों में कैद करता
कोई बात करता विश्व ज्ञान की
तो कोई सामाजिक रीतियों पर 
अपना मंतव्य रखता।

सताएंगी आप सभी की हसी 
खेले जो संग खेल भी सताएंगे
जिंदगी के इस अन्नंत्त सफर में
आप सभी हमेशा याद आएंगे।

_ विक्रम शर्मा #फ़रिश्ते