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ये दुनिया छोड़ ना मंजूर, यह दुनिया छोड़ना मंजूर ल

ये दुनिया छोड़ ना मंजूर, यह दुनिया छोड़ना मंजूर
 लेकिन
वतन को छोड़कर जाने का नहीं
 💐💐💐💐💐🙏🏼😔😔 इंदौर (मध्य प्रदेश): मशहूर शायर राहत इंदौरी इस दुनिया में नहीं रहे. राहत इंदौरी की कोविड-19 के इलाज के दौरान मृत्यु हुई. इंदौर के जिलाधिकारी मनीष सिंह ने पुष्टि की. उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित पाये जाने के बाद यहां एक निजी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती किया गया थी. Also Read - अलविदा राहत इंदौरी: नहीं रहा 'आसमां को जमीन' पर लाने वाला शायर, पढ़िए उनके 20 चुनिंदा शेर

आज ही (मंगलवार) सुबह 70 वर्षीय शायर ने खुद ट्वीट कर अपने संक्रमित होने की जानकारी थी. उन्होंने कहा, "कोविड-19 के शुरूआती लक्षण दिखायी देने पर कल (सोमवार) मेरी कोरोना वायरस की जांच की गई जिसमें संक्रमण की पुष्टि हुई." इंदौरी ने ट्वीट में आगे कहा, "दुआ कीजिये (मैं) जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं." 1 जनवरी 1950 को इंदौर, मध्य प्रदेश में जन्में राहत कुरेशी उर्फ राहत इंदौरी के पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी था जोकि कपड़ा मिल के कर्मचारी थे उनकी माता का नाम मकबूल उन निशा बेगम था.

उर्दू को विश्व पटल को एक नई और आधुनिक पहचान देने वाले शायरों में से एक राहत इंदौरी का इस दुनिया को छोड़ के जाना एक ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती. आज हम आपको मशहूर शायर राहत इंदौरी के कुछ चुनिंदा शेर शेयर कर रहे हैं. राहत इंदौरी जब अपने खास और बेहद कमाल के लहजे में स्टेज पर शेर पढ़ते थे तालियों की गड़गड़ाहट रुकती नहीं थी. उनका एक शेर 'आसमान लाये हो ले आओ ज़मीन पर रख दो..' लोगों को बेहद पसंद है.

राहत इंदौरी के 20 चुनिंदा शेर
ये दुनिया छोड़ ना मंजूर, यह दुनिया छोड़ना मंजूर
 लेकिन
वतन को छोड़कर जाने का नहीं
 💐💐💐💐💐🙏🏼😔😔 इंदौर (मध्य प्रदेश): मशहूर शायर राहत इंदौरी इस दुनिया में नहीं रहे. राहत इंदौरी की कोविड-19 के इलाज के दौरान मृत्यु हुई. इंदौर के जिलाधिकारी मनीष सिंह ने पुष्टि की. उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित पाये जाने के बाद यहां एक निजी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती किया गया थी. Also Read - अलविदा राहत इंदौरी: नहीं रहा 'आसमां को जमीन' पर लाने वाला शायर, पढ़िए उनके 20 चुनिंदा शेर

आज ही (मंगलवार) सुबह 70 वर्षीय शायर ने खुद ट्वीट कर अपने संक्रमित होने की जानकारी थी. उन्होंने कहा, "कोविड-19 के शुरूआती लक्षण दिखायी देने पर कल (सोमवार) मेरी कोरोना वायरस की जांच की गई जिसमें संक्रमण की पुष्टि हुई." इंदौरी ने ट्वीट में आगे कहा, "दुआ कीजिये (मैं) जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं." 1 जनवरी 1950 को इंदौर, मध्य प्रदेश में जन्में राहत कुरेशी उर्फ राहत इंदौरी के पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी था जोकि कपड़ा मिल के कर्मचारी थे उनकी माता का नाम मकबूल उन निशा बेगम था.

उर्दू को विश्व पटल को एक नई और आधुनिक पहचान देने वाले शायरों में से एक राहत इंदौरी का इस दुनिया को छोड़ के जाना एक ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती. आज हम आपको मशहूर शायर राहत इंदौरी के कुछ चुनिंदा शेर शेयर कर रहे हैं. राहत इंदौरी जब अपने खास और बेहद कमाल के लहजे में स्टेज पर शेर पढ़ते थे तालियों की गड़गड़ाहट रुकती नहीं थी. उनका एक शेर 'आसमान लाये हो ले आओ ज़मीन पर रख दो..' लोगों को बेहद पसंद है.

राहत इंदौरी के 20 चुनिंदा शेर