नाम तो बना लिया पहचान बनानी बाकि है,, टूट गया जमाने से मगर खून मे रवानी बाकि है,, वो कहते है विराम करो इस कहानी का,, ऐसे कैसे खुद से अनजान की जवानी बाकि है,, खुद से अनजान आयुष