सस्ते दामों में जब खुदा बिकते है तो इंसान की औकात कहां खुद के ज़मीर को बचाने की। हर चेहरे के पीछे नक़ाब लगा रखा है। लोग कहते है मैं तेरे करीब हूं नजदीकियां बढ़ा पीठ पर खंजर घोपते है। आप पर यकीन दिखाते है अगले पल शक की निगाह उठाते है। इस शक से भरी दुनिया में अपना कोई नही। सस्ते दामों में जहां रोज खुदा बिकता है। #व्यथित_परिवर्तन