#बारिश#मन को तृप्त करती बारिश की बूंदों में #बादलों के पानी के साथ - साथ #आंखों में कैद बरसों का पानी भी बाहर निकलने को उमड़ता है,, मन के कोने में दबी #भावनाओं के #द्वंद्व से आंखों के रास्ते बाहर निकल जाने को दिल की पीड़ाओं का #शैलाब ,,, मन की कुंठाओं का दरिया ,, #दुनिया की नजरो से बचते बचाते बह निकलता है,,ओर बादलों, #धरती ,, पानी के साथ साथ,, खुद भी किसी एक छोटे से हल्के से एहसास से रोने लगता है,,, लोगो से बेखबर,,,, ओर उनके साथ होते हुए भी,,उनसे कोसों दूर,,एकांत में जहां किसी को भी आने #ज़िन्दगी#खामोशी