शब्द ही शब्द का बनता श्रृंगार है शब्द कोमल शब्दों से ठनती रार है बनते कहीं परिधि तो कहीं बनते व्यास हैं शब्द है सर्जना तो कहीं शब्द ही विनाश हैं ©Braj Mohan #शब्द #braj Mohan #adventure