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दुश्मन **** हम दोस्ती से ज्यादा दुश्मनी निभाने वि

दुश्मन
****
हम दोस्ती से ज्यादा दुश्मनी  निभाने विश्वास  रखते है,
ऐसे शख्स हमे आगे बढ़ाने में भरपूर  कोशिश करते हैं,

इनकी तरबियत  हमे  ऐसे पागलपन पर  ला   देती  है,
निज जिजिविषा  को अपने अंत तक  फिर  परखते  है,

सच हौसले कभी बुलंद ही न होते जो ये दुश्मन  न होते,
इनकी हुंकार तो श्मशान के  मुर्दों में भी जान  फूँकते है,

इनकी आँखों की  लौ ऐसी बिजलियाँ फिर  गिराती  है,
कि चमक जाये जीवनपथ फिर कदम कभी न रुकते है,

बन प्रतिद्वंद्वी वो ऐसा अंतर्द्वंद्व एक दूसरे में पैदा करते है,
हो मदमस्त गज की भांति मालूम है उसे श्वान भोंकते है।
@निशा कमवाल हम दोस्ती से ज्यादा दुश्मनी  निभाने विश्वास  रखते है,
ऐसे शख्स हमे आगे बढ़ाने में भरपूर  कोशिश करते हैं,

इनकी तरबियत  हमे  ऐसे  पागलपन पर  ला   देती  है,
निज जिजिविषा  को अपने अंत तक  फिर  परखते  है,

सच हौसले कभी बुलंद ही न होते जो ये दुश्मन  न होते,
इनकी हुंकार तो श्मशान के  मुर्दों में भी जान  फूँकते है,
दुश्मन
****
हम दोस्ती से ज्यादा दुश्मनी  निभाने विश्वास  रखते है,
ऐसे शख्स हमे आगे बढ़ाने में भरपूर  कोशिश करते हैं,

इनकी तरबियत  हमे  ऐसे पागलपन पर  ला   देती  है,
निज जिजिविषा  को अपने अंत तक  फिर  परखते  है,

सच हौसले कभी बुलंद ही न होते जो ये दुश्मन  न होते,
इनकी हुंकार तो श्मशान के  मुर्दों में भी जान  फूँकते है,

इनकी आँखों की  लौ ऐसी बिजलियाँ फिर  गिराती  है,
कि चमक जाये जीवनपथ फिर कदम कभी न रुकते है,

बन प्रतिद्वंद्वी वो ऐसा अंतर्द्वंद्व एक दूसरे में पैदा करते है,
हो मदमस्त गज की भांति मालूम है उसे श्वान भोंकते है।
@निशा कमवाल हम दोस्ती से ज्यादा दुश्मनी  निभाने विश्वास  रखते है,
ऐसे शख्स हमे आगे बढ़ाने में भरपूर  कोशिश करते हैं,

इनकी तरबियत  हमे  ऐसे  पागलपन पर  ला   देती  है,
निज जिजिविषा  को अपने अंत तक  फिर  परखते  है,

सच हौसले कभी बुलंद ही न होते जो ये दुश्मन  न होते,
इनकी हुंकार तो श्मशान के  मुर्दों में भी जान  फूँकते है,