कतरा-कतरा जल रहे, आग ये आखिर कैसी है? बुझाये न बुझे पानी से, पानी की तलाश कैसी है? ज़िन्दगी के हर पल में, ग़म की तीरगी कैसी है? क़ालिख हो सूरज से भी, फिर भी ये आस कैसी है? खो भी जाये आसमान में, छाई काली घटा ये कैसी है? मेरे न थे, तेरे ही ज़ख्मों से, मेरी ये अब प्यास कैसी है? तेरे सीने की जलन मुझ में, अश्कों की बरसात कैसी है? सागर जो बह गया दिल से, दिल में अब ख़राश कैसी है? तेरी उदासी ज़ाहिर होने से, मेरी ये उदासी अब कैसी है? इलाज न हो मुझ हक़ीम से, वैद्य की अब तलाश वैसी है। #आग #क़ालिख #तीरगी #ख़राश #हक़ीम #पानीतलाश #yqdidi #yqhindi