आपका विस्तार सम्पूर्ण ब्रम्हांड में है। आप सृष्टि के ऐसी रचना है जिसे नकारने की भूल करने वाला पागलपन नामक विशिष्ट कोटि की हानिकारक बीमारी को गले लगा धरती के सम्पूर्ण आगमन के प्रयोजन को नष्ट कर बैठता है। आपसे ही विस्तारवादी और संकुचनवादी दोनों प्रकार की मानसिकता का ज्ञान प्राप्त होता है। जो जीव विस्तारवादी धारणा को अग्रसित होता है, वह तो हर असंभव लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त कर सकता है।वही दूसरी ओर संकुचनवादी धारणा का जीव बस किसी प्रकार अपना जीवन यापन करना चाहता है। अतः हे बुद्धि मानव जीवन पर किए गए आपके उपकार का कोई पारिश्रमिक मूल्य चुकाना तो हमारे बस में नहीं, परंतु सुविचारों और कुविचारों में अंतर निर्धारित करके आपका बोझ जरूर ही कम करने का आजीवन प्रयत्न करेंगे। #yolewrimo में आज एक पत्र लिखें #बुद्धिकेनाम #letters #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi