एक उम्मीद के साथ सुपुर्द किया था फूल उन्हें। चुप चाप और ना किसी को बता कर। वो फूल रखा उन्होंने किताब में छिपा कर। मैं इस उम्मीद में था वो फूल अपने बगीचे में लगाया होगा। उसने कुछ भंवरों को ललचाया होगा। मगर वो हाथ एक नया फूल थामे थे। कुछ बदले बदले से उनके इरादे थे। वो होंठ एक नया नाम बता गए। मेरे फूल उसी किताब के किसी पन्ने में रखे रखे मुरझा गए। ©Dr Ravi Lamba #Streaks कविता कोश #hindipoetry #jaunelia