सुनो .....! सफर की शाम हो गई चलो अब लौट चलते हैं पर जाना कहाँ है कोई बता तो दो वो जिसको सुकून कहते हैं उसका कोई पता तो दो बहुत हौसला था मेरे अंदर जीने का जो अब दम तोड़ रहा है देखो ना मेरा टूटकर बिखरता हुआ वजूद कोई बचा तो लो ऐसा नहीं केे मैं डर सा गया हूँ बस किसी को दर्द में देखकर पिघल सा गया हूँ ज़िद नहीं है वो मेरी मोहब्बत है सुनलो इसलिए अपनी मोहब्बत से मुकर सा गया हूँ रहूँगा ज़िंदा हमेशा मैं उसका याद बनकर सुनलो बस रस्मन मैं दुनिया केे लिए मर सा गया हूँ ©Simab Eak Ehsaas #simabeakehsaas #PoetryOfSimab