टूटकर फिर से जुड़ना,जुड़कर फिर बिखरना अखरता अब नहीं है,यूं रोज़-रोज़ मरना राख हूं मैं बेशक,हवा तेज़ चल रही है संग तेरे मैं उड़ रहा हूं,कहीं नहीं है अब ठहरना बारिश की बूंद सा है,ज़िदगी का सफर भी ख़ाक से ही मैं उठा हूं,ख़ाक में ही फिर है मिलना कभी खुशी के हैं आंसू,कभी ग़म की हंसी है धीमा सा ये ज़हर है और जल्दी हमें नहीं है पसंद तो बहुत है,संग हमारा उन्हें भी कुछ मजबूरियां हमारी,कुछ तुम्हारा यूं पलटना खो दोगे हमें भी,देखो एक दिन तुम सीखा तुमने बहुत है,बस सीखा नहीं परखना... Abhishek Trehan #टूटना #जुड़ना #yqdidi #hindishayari #hindipoetry #जिंदगी_का_सफर #lifepoetry #जीवन