घर मेरा वीरान पड़ा है बीती रात जबसे आके गया कोई जब घर की याद आए तो,आ जाना जब अकेलापन सताए, तो आ जाना कोई नगमा गुनगुनाओ तो आ जाना रंजिशे बहुत है इस दुनियां में मगर, मोहब्बत हो अगर हमसे तो आजाना दरवाज़ा खुला रखते है दिल हो या हो घर का गालिब भीतर से ही लगता है इस दरवाज़े में ताला जाना न हो कभी तुम्हे इस दिल से, तो आजाना हम तो वही खड़े है जहां छोड़ गए थे जब तुम भी थक जाओ अगर तो, आ आना ©Savita Nimesh #आ#जाना