दूर होकर भूल गए वो, हमारे इश्क़ की कहानियाँ। याद उन्हें कुछ भी नहीं, ना ही कोई निशानियाँ। महफ़ूज़ रखा था हमने दिल में प्यार उनका सदा। क्या पता था मिल जाएंगी हमको ही वीरानियाँ। हम थे नादां, इश्क़ में उनके सब कुछ लुटा दिया। मिली ज़िल्लतें और तोहमतें, कितनी बदनामियाँ। पास हमारे कुछ भी नहीं, सब कुछ तो वो ले गए। चैन मेरा, दिल का सुकूँ और मेरी सारी तनहाइयाँ। जिएंगे कैसे तुम बिन हम, क्यूँ ये ना सोचा तुमने। धड़कनें भी थम जाएंगी, फिर एक दिन मेरी यहाँ। ♥️ Challenge-764 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।