अरविन्द... DBK के सरोवर का अरविन्द आज मुरझा गया, ऐ अरविंद , मोम के सजीले बंधन तूने तोड़ दिए, साधना के पथ पर तुमने कलियाँ बिछाईं, अमरत्व के लक्ष्य तक तुम जा पहुंचे । लोग संन्यास लेते हैं, तुमने तो जीवन से ही वैराग्य ले लिया । धरती की मेहमानी रास न आई, तूने स्वर्ग का रुख कर लिया... हे पथिक, तूने आलस्य का त्याग किया , सांसारिक मोह बंधनों को खोल तुम मुक्त हुए, ऐ राही, चिर निद्रा को तू ने अपनाया अज्ञात प्रीतम तक जा पहुंचे, अपने आराध्य को पा लिया । जीवात्मा परमात्मा का अंश, तू उसी में समा गया। पतित पावन रूप को हम से पहले तूने देख लिया। श्वेत परिधान धारण कर, सौंधी मिट्टी की तह के नीचे चले गए , धरा से कहीं दूर स्वर्ग को कूच कर गए। सूर्योदय पर तो कमल खिलता है, पर हे अरविंद! तुम तो अस्त हो गए,.,., न जाने कहाँ व्यस्त हो गए ..? ३९२/३६६ अपने सहकर्मी अरविन्द एक्का जी की आकस्मिक मृत्यु पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि। 🙏 ईश्वर उन्हें अपने साथ रखें। 🙏 original yreeta-lakra-9mba