सिर्फ खुशी ही खुशी हो ना कभी गम का भेंट हो! ऐसे भी हों मौसम तो है पीना कहाँ अच्छा!! ©Brijendra Dubey 'Bawra, पूरी गजल......,,👇👇👇 विष अपमान का पीकर है जीना कहाँ अच्छा प्रतिशोध में माथे का है पसीना कहाँ अच्छा काँटो से खौफ़ खाकर जो पंथ ही बदल दे तो मुसाफ़िर सफर का है करीना कहाँ अच्छा