जो निगाहों से अपनी शहर में,कई कत्ल कर चुके थे, मेरी नज़्म सुनते ही आत्मसमर्पण कर चुके है। कभी कहते थे जो ,कभी इश्क़ न होगा उन्हें, आज कहते है उनके दिल में हम घर कर चुके है। - आर्यावर्त वेद प्रकाश (शुभ प्रभात)