प्रेम मिथ्या है! है क्या? ना ना... या शायद हां! मिथ्या वही तो है जिसकी सच्चाई से अवगत हैं ये संसार.... जैसे कि प्रेम से। तो हुए ना दोनों एक से! है ना..? अब क्या पता... शायद हां। (long post) पता नहीं कहां से समय भी निकल आया और लेख भी लिख गया। अब विषय के कितने समीप है, वो आप सब तो पढ़ कर बताइएगा। कोशिश की जा रही थोड़े आत्म मंथन की.. देखें क्या निष्कर्ष निकलता है। अनभिज्ञ हैं हम भी इससे, क्योंकि आज पहली बार प्रेम के मिथ्या रुप को लिख रहें। तो आप कहते हैं - "प्रेम मिथ्या है! है क्या?"