चलते जा रहे हैं हम जीवन पथ पर, छोड़ते जा रहे हैं अपने कदमों के निशां जज़्बा अपना नहीं खोया हमने अब भी, मिल ही जाएगी हमें मंज़िल तक पहुँचने की दिशा उगेगा सूर्य हमारी ज़िंदगी में भी इक दिन, आख़िर कब तक रहेगी ग़म की काली निशा ❤प्रतियोगिता-632❤ 👍🏻चित्र प्रतियोगिता - 180👍🏻 🤗आज की चित्र प्रतियोगिता के अंतर्गत आपको चित्र को ध्यान में रखते हुए लिखना है I ध्यान रहे कि शब्द सीमा चित्र के ऊपर ही अंकित हो सके उतनी रहे I🤗 🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दी हुई चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।