*हे भोले* भोले बस इतना करना, जीवन मे व्यस्त ही रहूं। व्यर्थ के हीनविचारों से, कदापि मैं ग्रस्त न रहूं।। दो जून की रोटी हो बस, छत सर पर रहे सलामत। ना हो उछलता धन पर, अभावों से मैं ग्रस्त न रहूँ।। भीड़ में ना गुम हो जाऊं मैं, बेगानों में न फंस जाऊं मैं। चार साथी हो सुख देने को, एकाकीपन से त्रस्त न रहूं।। काम से हो पूरी वफादारी, रिश्तों में थोड़ी समझदारी। हो ईमानदारी दूजों से औ, स्वयं से भी मैं भ्रष्ट न रहूँ।। 22.07.2019 (c) गिरीश #भोले