मोर पंख सर ,हाथ बाँसुरी, श्याम साँवले हर गोपी को प्यारी। माखन प्रिय अमृत है वाणी, जग में अमर जिनकी है यारी। नन्द के लाल श्री चक्रधारी, राधा मन बसते प्रभु त्रिपुरारी । देवकी अंश यशोदा के परछाईं, कंस संहारक जय बांकेबिहारी। ©rupesh sharma मोर पंख सर ,हाथ बाँसुरी, श्याम साँवले हर गोपी को प्यारी। माखन प्रिय अमृत है वाणी, जग में अमर जिनकी है यारी। नन्द के लाल श्री चक्रधारी, राधा मन बसते प्रभु त्रिपुरारी । देवकी अंश यशोदा के परछाईं, कंस संहारक जय बांकेबिहारी।