आजकल के बच्चे सत्य -सनातन की यह छाया अजी बनी रहें अब बच्चों पर अजी चाहूँगा मैं दिल से यारा इसका भी अजब ही दौर चले जो आज देखता हूँ बच्चों को तो सच- दंग यार रह जाता हूँ जो सुनता उनकी कुछ- बातें अजी मैं हैरत में पढ़ जाता हूँ आज के दौर को जो यदि देखूँ तो सच संस्कार कम दिखते है कल तक थे जो आदर्श हमारे आज उनसे ही यार -अछूते है कहाँ ये जानें राम -कृष्ण को अब तो हनी सिंह को सुनते है कल को दादी नानी यारा..... जो रामायण पाठ पढ़ाती थी आज के दौर की बात करूँ तो अब -कहाँ उन्हें यह सुनते है नहीं प्रश्न यह सब पर ही यारों पर कुछ तो अब जद में आयेंगे जो भी होगी दोषी यारों....... अब- कहाँ मौन रह पाएंगे..... उम्र केवल सोलह -सतरह की अजी बातें ऐसी करते है...... गर इक बार सुनें जो उनके पूर्वज सच में तिरपित हो जाएंगे.... अब कहाँ है पढ़ते रामायण गीता बस वेब सीरीज में अटके है..... अजी दिखता जो भी उन्हें वहाँ है बस मार्ग मार्ग वहीं वो चलते है गर अब भी न जागा जो यदि हिन्दू तो फिर अपना ही नाश कराएगा जो होगा यदि धर्म- विमुख वो तो फिर संस्कार लुप्त ही पाएगा अब भी कोई समय नहीं है गुजरा इन पर थोड़ा सा ध्यान करो..... नहीं बहो तुम पश्चातय- सभ्यता खुद की निज नींव से जुड़े रहो अजी मेरा क्या मैं तो लिखता हूँ खुलकर ही आवाज लगाऊंगा मेरा काम है जो भी ओ यारा.... बस उससे ही अलख जगाऊँगा #आज_के_युवा_कटाक्ष #sadak