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ऊंची -उंची इमारतों के बीच, झोपड़ीयो कि रिहाइश भी ह

ऊंची -उंची इमारतों के बीच, झोपड़ीयो कि रिहाइश भी है, महफिलों कि रौशनी के बीच, अंधेरे घर में जलते दिये कि पैमाईश भी है, पकवानों के दावतों के बीच,दो वक्त कि रोटी कि आजमाइश भी है, कंक्रीट के जंगलों के बीच,,काटे गए पौधो कि रूआइश भी है ,मरती हुई इंसानियत के बीच, कहीं जिंदा बच रूहानियत इस बात कि ख्वाहिश भी है।

©Amit Sir KUMAR
  #City उंची-उंची इमारतों के बीच.....

#City उंची-उंची इमारतों के बीच..... #शायरी

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