होली की सुबह हो आई पिंकू लेकर उठा अंगड़ाई. पिचकारी में रंग भरता गली गली दौड़ता फिरता. दादा दादी अंकल आंटी मम्मी दीदी भैया बंटी. सब एक दूजे को रंग लगाते चेहरे देख देख मुस्काते. गलियों में बच्चे शोर मचाते रंग उड़ाते धूम मचाते. पिंकू टब भर -भर रंग बनाता पिचकारी से सबको खूब भीगाता. पिंकू के मन में होली समाई खूब होली खेली भाई. जी भर होली खेली सबको खूब रँगाया, पर जल्द ही पिंकू लौटकर घर को आया. क्या हुआ पिंकू? क्यूं हो गए उदास, सबने मिलकर पूछा, एक साथ परेशानी उसकी किसी को समझ में ना आई तब पिंकू ने फिर, टूटी पिचकारी दिखायी. पिचकारी के हाल देख सब लोग हँस पड़े. चाइनीज पिचकारी है, अनायास कह पड़े. कोई बात नही पिंकू दूजी ले लेंगे अगली बार और भी बड़ी ले लेंगे. पिंकू को पापा की यह बात बहुत भायी जोर से सबने कहा होली आयी भई होली आयी. यहां नीचे पूरा पढ़ें 🙂👇🏻👇🏻👇🏻 सुनहरी पिचकारी बच्चे दो दिन पहले से थे तैयार मजा आएगा होली में इस बार.