कोई और नाम मुझको मन्त्र-सा जपना नहीं आया रहे सब ग़ैर होकर यूँ कोई अपना नहीं आया मुलाक़ातों का दिलकश सिलसिला वो जबसे टूटा है― मेरी नींदों के हिस्से में कोई सपना नहीं आया ©Ghumnam Gautam #Wood #ghumnamgautam #सिलसिला #नींद