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आज फिर से अकेला पड़ गया हूं आज फिर जरूरत है तुम्हार

आज फिर से अकेला पड़ गया हूं
आज फिर जरूरत है तुम्हारी
जहां से दो पगडंडियां जाती थी
अचानक तुम मुझ से दूर
एक नई पगडंडी पकड़ कर  
कहीं दूर निकल चुके हो 
मैन देखा अपने चारो ओर 
लगा जैसे किसी बुरे स्वप्न
से नींद खुल गयी हो जैसे
मैंने आवाज भी देनी चाही
पर,उस नई पगडंडी को 
पकड़े कहीं दूर निकल चुके
थे तुम 
धीरे धीरे आँखों से दूर हो रहे थे तुम
और मैं वहीं दो मुहे रास्ते पे बैठा 
तुम्हारा इंतजार करता रहा हूं
अब तक
 #कहानी 
#पगडंडी 
#अकेला 
#yqdidi 
#yqquotes 
#यकहिन्दी #yqquotes
आज फिर से अकेला पड़ गया हूं
आज फिर जरूरत है तुम्हारी
जहां से दो पगडंडियां जाती थी
अचानक तुम मुझ से दूर
एक नई पगडंडी पकड़ कर  
कहीं दूर निकल चुके हो 
मैन देखा अपने चारो ओर 
लगा जैसे किसी बुरे स्वप्न
से नींद खुल गयी हो जैसे
मैंने आवाज भी देनी चाही
पर,उस नई पगडंडी को 
पकड़े कहीं दूर निकल चुके
थे तुम 
धीरे धीरे आँखों से दूर हो रहे थे तुम
और मैं वहीं दो मुहे रास्ते पे बैठा 
तुम्हारा इंतजार करता रहा हूं
अब तक
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raushan4117

Raushan

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