हर तरफ धुंध सा है , कोई चिराग़ नजर नहीं आता । तन्हां चल रहा हूं राह में, कोई राहगुजर नज़र नहीं आता । इश्क़ के चर्चे करते हैं महफ़िल में , कोई सच्चा दिलदार नज़र नहीं आता । दिल जलने पर पीते हैं सभी , कोई गुनेहगार नज़र नहीं आता । ज़िन्दगी बस कट रही है यूहीं , कोई गुलज़ार नज़र नहीं आता।।PKM.. हर तरफ़ धुंध सा है, कोई चिराग़ नज़र नहीं आता....