सारी ख्वाहिशें भूले-भुलाए बैठे हैं.., बस एक उम्मीद जगाए बैठे हैं..। जुगनू दिखा रहा है आँख अंधेरे को.., एक हम हैं कि चराग़ बुझाए बैठे हैं..। वो जो ना आने वाला है, हमें तो उनसे मतलब है, आने वाले तो आने की रट लगाए बैठे हैं..। जीत गए होते हम जंग-ए-इश्क पर.., हम खुद को खुद से हराए बैठे हैं.. | ©Rishav jha #Love #cards