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छोड़ दिया था तुमने तो मुझे कब का अब तो तुम्हारी याद

छोड़ दिया था तुमने
तो मुझे कब का
अब तो तुम्हारी यादें
भी मुझसे क़तराने 
लगी हैं....
पहले तो हर वक़्त
आस पास मंडराती
रहती थी
अब यादों का दरवाज़ा
खोलने पर भी नहीं आती
क्या समझूँ इसे...??
तुम्हारी नाराज़गी की
इंतेहा या ......??

Sunita Sachdeva

©Sunita Sachdeva
  #मेरे_अल्फाज़